मुंबई।
भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने नोटबंदी के बाद सरकारी कर्मचारियों के खाते में जमा रकम की जांच कराने के सरकार के कदम को महज बहानेबाजी करार दिया है।
उसने सरकार से लोगों पर क्लोरोफॉर्म (बेहोश करने वाली दवा) का इस्तेमाल करने और उनका ध्यान बंटाने के बदले के बुनियादी सवालों पर फोकस करने को कहा है।
एक दिन पहले महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से हटने की धमकी देने वाली शिवसेना ने मंगलवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय के जरिये केंद्र सरकार को घेरा।
उसने संपादकीय में कहा है कि सरकार को निगरानी करने या जांच कराने का अधिकार है लेकिन ऐसी जांच से परिणाम क्या निकलेगा? इस कदम से केवल सरकारी कर्मचारियों के सिर पर तलवार ही लटकेगी।
गौरतलब है कि सीवीसी ने हाल ही में कहा था कि नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा जमा कराए गए बंद नोट की जांच की जाएगी।
शिवसेना ने संपादकीय में पूछा, सरकार नोटबंदी की विफलता छुपाने के लिए और क्या-क्या कदम उठाएगी? आरबीआइ के मुताबिक, 99 फीसद बंद करेंसी नोट सिस्टम में फिर वापस आ गए, यह नोटबंदी की विफलता का संकेत है।
उसने कहा कि हाल ही में सरकार ने जनधन खाते में जमा पैसे की जांच कराने की धमकी दी और बैंक लेनदेन पर आयकर विभाग की निगरानी रखने की बात कही।
पार्टी ने कहा कि यह सब विफलता को छुपाने के लिए किया जा रहा है। उसने आरोप लगाया कि लोगों की निगरानी उन्हें सम्मोहित करने और डराने की सरकार की चाल है।