बेंगलुरु |
अगर आप वाहन मालिक हैं तो निकट भविष्य में पेट्रोल-डीजल के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में आने की उम्मीद न पालें। अभी इससे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इसकी जोरदार वकालत कर रहे हैं। पेट्रोलियम उत्पादों से मिलने वाला टैक्स राज्य सरकारों और केंद्र का खजाना भरता है। ऐसे में दोनों सरकारें इन्हें जीएसटी के अंदर लाने की मांग अनसुनी ही करेंगी। अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के तहत आ गया तो बेंगलुरु में इनकी कीमतें घटकर आधी रह जाएंगी।
उदाहरण के तौर पर सोमवार को बेंगलुरु में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 71.62 रुपये थी, जो सबसे ऊंचे स्लैब के जीएसटी के तहत भी महज 44.06 रुपये होती। अगर इसे 12 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब में रखा गया होता तो कीमत सिर्फ 38.49 रुपये प्रति लीटर होती। पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के तहत लाने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है क्योंकि जीएसटी काउंसिल इसे नई व्यवस्था में शामिल कर चुकी है, लेकिन टैक्स की सीमा तय नहीं की गई है। वैसे भी कर्नाटक सरकार किसी भी कीमत पर सोने का अंडा देनेवाले पेट्रोल-डीजल को अपने हाथ से निकलने देना नहीं चाहेगी क्योंकि उसे प्रति माह औसतन 1,000 करोड़ रुपये की कमाई होती है।
पेट्रोल-डीजल GST के अंदर नहीं, यह है वजह
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