नई दिल्ली |
नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कहीं भी आने-जाने और बसने का अधिकार देश के संविधान ने भारत के नागरिक को दिया है। यह अधिकार गैर कानूनी ढंग से देश में रह रहे लोगों के लिए नहीं है।
गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने 15 पन्नों के हलफनामे में लिखा है, ‘भारत में गैर कानून ढंग से रोहिंग्याओं का आना साल 2012-13 में हुआ। इसके बाद देश की सुरक्षा और खुफिया एजेंसी और कई अधिकारिक जगहों से ऐसी जानकारी मिली है कि गैर कानूनी ढंग से भारत में रह रहे कुछ रोहिंग्याओं का पाकिस्तान के आतंकी समूहों या उस जैसे समूहों से संबंध है।’
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा, ‘बहुत से रोहिंग्याओं को आईएसआई और आईएस के समर्थन में देखा गया है, जो भारत में अपने उद्देश्यों को पूरा होते देखना चाहते हैं। यहां तक कि कई जगह संवेदनशील इलाकों में साम्प्रदायिक उन्माद को भड़काने में भी इन लोगों की भूमिका रही है।’ सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानवलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने इंटेलिजेंस इनपुट और इससे जुड़ी जानकारी सील किए हुए लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जमा करने की बात कही। मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को ही होगी।