लंदन।
भारतीय बैंकों को नौ हजार करोड़ का चूना लगाकर ब्रिटेन भागे उद्योगपति विजय माल्या सुनवाई के दौरान गुरुवार को अदालत में मौजूद रहेगा।
लंदन के वेस्टमिंस्टर स्थित चीफ मजिस्ट्रेट की अदालत में उस पर मामला विचाराधीन है। अभी तक माल्या अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश नहीं हुआ था।
भारत सरकार ने प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटेन में अपील की थी। उसके बाद अदालत में याचिका दाखिल की गई थी। किगंफिशर के कर्ताधर्ता को अदालत ने वापस भारत भेजने का फैसला किया तो इसके दो माह के भीतर ब्रिटिश सरकार को उसे भारत को सौंपना होगा।
हालांकि फैसले के खिलाफ अपील का प्रावधान है और माना जा रहा है कि प्रत्यर्पण को टालने के लिए माल्या हर मुमकिन कोशिश करेगा। अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई चार दिसंबर से तय की है। माल्या को अप्रैल में स्काटलैंड यार्ड पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
यह कार्रवाई भारत सरकार की तरफ से की गई शिकायत के बाद की गई थी। तब माल्या ने जमानत हासिल कर ली थी। अदालत ने तब माना था कि केस मैनेजमेंट से जुड़ी सुनवाई के दौरान उसके मौजूद रहने की अनिवार्यता नहीं होगी। चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा लुइस की अदालत में सुनवाई होगी।
इस मामले में भारत सरकार को सबसे ज्यादा उम्मीद क्राउन प्रासीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) से है। इसने जुलाई में अदालत से कहा था कि भारत सरकार से उसका बेहतरीन तालमेल है और केस से जुड़े इतने दस्तावेज उन्हें मिल चुके हैं जो ट्रायल शुरू करने के लिए पर्याप्त हैं।
उधर, माल्या की पैरवी करने वाली टीम का कहना है कि वह पूरी तैयारी के साथ अदालत में जाएंगे। हालांकि उद्योगपति को अदालत में पेशी से छूट मिली है, लेकिन उन्होंने फैसला लिया है कि वह हर सुनवाई में व्यक्तिगत तौर पर मौजूद रहेंगे।