गुड़गांव |
रायन स्कूल में एक 7 साल के बच्चे की गला रेतकर हत्या कर दी गई। हत्या केवल बच्चे की नहीं बल्कि उस भरोसे की हुई है, उस भरोसे की जिससे बच्चे को स्कूल भेजा जाता है। देशभर के स्कूलों में सेफ्टी की गाइ़डलाइन्स बनाए जाने की गुहार लगाी जा चुकी है। कानूनी लड़ाई लंबी है और इस बीच बच्चे की मां और पिता ने इस दुख की घड़ी में हमसे बात की। बातचीत के कुछ अंश…
परिवार को संभालने के साथ-साथ कानूनी लड़ाई, ये सब कितना कठिन है?
बच्चों को रायन इंटरनैशनल स्कूल में ऐडमिशन इसलिए कराया ताकि वह कहीं स्टैंड हो सकें। काबिल बनें सकें। मेरा नौकरी का मकसद ही यही था, उन्हें अच्छी से अच्छी एजुकेशन दूं। एक मिडल क्लास के अरमान सीमित होते हैं कि बच्चों की अच्छी परवरिश, उसकी पढ़ाई, एक मकान और बेटी की शादी। इससे ज्यादा मैंने भी नहीं सोचा था। बेटी और बेटे को पढ़ाना मेरे जीवन का अहम लक्ष्य रहा था लेकिन बेटे की हत्या ने मेरे जीवन के मकसद को ही बदलकर रख दिया। मैं अभी सोच भी नहीं पा रहा हूं कि आखिर बेटे के बिना जीवन कैसे कटेगा लेकिन इस घटना के बाद मेरे ऊपर जिम्मेदारी और ज्यादा आ गई है। जाहिर तौर पर इस दुख की घड़ी में परिवार को संभालना मेरी ही जिम्मेदारी है लेकिन एक अहम जिम्मेदारी यह आ गई है कि बेटे को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ना। इसी को मकसद बनाकर जीने की कोशिश कर रहा हूं।