रायपुर।
प्रदेश में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हाल यह है कि हरे पेड़ों पर आरियां चल रही हैं। हजारों पेड़ जड़ से काट दिए गए हैं। नतीजा सामने है। नेशनल हाईवे के किनारे से हरियाली गायब हो गई है। स्टेट हाईवे भी टू लेन बन रहे हैं, लिहाजा ग्रामीण इलाकों में भी पेड़ों का बड़े पैमाने पर कटान हो रहा है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने हाल ही में आदेश जारी किया है कि नेशनल और स्टेट हाईवे के किनारे हरित पट्टी का विकास किया जाए ताकि इकोलॉजिकल संतुलन बना रहे।
एनजीटी के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने ग्रीन हाईवे प्लांटेशन, ब्यूटीफिकेशन एंड मेंटेनेंस पालिसी 2015 के हवाले से कहा है कि सड़कों के किनारे हरित बेल्ट अनिवार्य है। इधर प्रदेश में आलम यह है कि पहले सड़कों के किनारे जहां पेड़ थे, वहां अब चटियल मैदान दिखता है।
वर्तमान में निर्माणाधीन रायपुर-धमतरी फोरलेन के किनारे 6777 पेड़ काटे जा रहे हैं। रायपुर-बिलासपुर हाईवे पर पिछले तीन साल में 2389 पेड़ काटे जा चुके हैं। धमतरी के आगे जगदलपुर तक 8 हजार से ज्यादा पेड़ कट चुके हैं। महासमुंद जिले में एनएच 6 के किनारे पेड़ों की अंधाधुंध कटाई का ग्रामीण विरोध भी कर चुके हैं।
शिवनगर से अंबिकापुर के बीच हाइवे के उन्नयन में भी बड़े पैमाने पर पेड2 काटे गए। एनएच-12 अ के निर्माण में 1402 पेड़ों की बलि चढ़ी। स्टेट हाइवे के किनारे भी पेड़ों की कटाई जारी है। सरकार का पूरा ध्यान चुनाव से पहले सड़कों के उन्नयन पर है। प्रदेश में ब्लॉक मुख्यालय तक सड़कों को टू लेन किया जा रहा है। इसका खामियाजा हरियाली को भुगतना पड़ा है।