रतलाम।
नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद रेलवे ने दावा किया था कि जल्द ही रेलवे पूरी तरह कैशलेस होगा, मगर सचाई इसके बिलकुल विपरीत है। कैशलेस की कवायदें नाकाम हुई हैं। न तो स्टॉलों व खानपान यूनिटों पर स्वेप आदि मशीनें लगी हैं, न ही रिजर्वेशन काउंटर पर मशीन होने के बावजूद नकदी विहीन लेनदेन को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालात ये हैं कि टिकट खरीदी का भुगतान 100 फीसदी नकद में ही हो रहा है। इसके अलावा यात्री छुट्टे रुपयों के लिए भी भटकते देखे जा सकते हैं।
बता दें कि रतलाम स्टेशन पर प्रतिदिन करीब 900 टिकट बुक किए जा रहे हैं, मगर इन सबका भुगतान नकद में ही लिया जा रहा है। रेलवे ने स्टेशनों पर पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल मशीन) मशीन उपलब्ध कराई है, मगर इसका कोई प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। हाल यह है कि रतलाम सहित अन्य 9 स्टेशनों पर 17 पीओएस (प्वाइंट सेल मशीन) मशीन लगाई गई है।
रतलाम में भी 3 मशीनें लगाई हैं, लेकिन अधिकांश यात्री इससे अनभिज्ञ हैं। वे सीधे रिजर्वेशन फॉर्म भरते हुए विंडों पर टिकट बुकिंग के बाद नकद भुगतान कर देते हैं। काउंटर की व्यवस्था यह है कि यात्रियों को कैशलेस माध्यम से भुगतान करने पर फॉर्म के साथ ही क्लर्क को जानकारी देना होती है, पर हो यह रहा कि विंडों पर व्यक्ति फॉर्म भरकर बुकिंग क्लर्क को देता है। तब सीधा उसका टिकट बुक कर नगद राशि मांग लेते हैं।