नई दिल्ली |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची ने बुधवार को यह फैसला लिया कि दोनों देश द्विपक्षीय सुरक्षा को बढ़ाएंगे और आतंकवाद के खात्मे के लिए मिलकर लड़ेंगे। इसके बाद गुरुवार को बाली के नुसा डुआ में म्यांमार के खिलाफ पारित हुए एक प्रस्ताव से भी भारत ने दूरी बनाकर यही संदेश दिया है कि दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ हो रहे हैं। असल में दोनों देशों की बढ़ रही दोस्ती के पीछे रखाइन राज्य में जारी रोहिंग्या संकट के बीच पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की गुपचुप की जा रही कार्रवाई है, जिसने नई दिल्ली की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI रखाइन राज्य में जहां एक तरफ रोहिंग्या चरमपंथियों का साथ दे रही है वहीं दूसरी तरफ वह रोहिंग्याओं के खिलाफ यंगून की लड़ाई में भी भूमिका निभा रही है। भारत और बांग्लादेश ने हाल ही में अपने संयुक्त आतंक-विरोधी सहयोग के जरिए यह पता लगाया था कि ISI ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की म्यांमार यात्रा से पहले कथित तौर पर रखाइन राज्य में आतंकवादी हमला करवाया था। अब भारत-बांग्लादेश-म्यांमार मिलकर इस क्षेत्र में आतंकवाद के खात्मे के लिए काम कर सकते हैं।