इंदौर ।
दिल के ऑपरेशन पर 6.64 लाख रुपए खर्च करने के बावजूद मरीज की जान नहीं बची। परिजन जब मरीज का शव लेने पहुंचे तो मेदांता अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें फिर 1.64 लाख का बिल थमा दिया। सोमवार को बिल नहीं चुकाने पर शव देने से मना कर दिया गया। नाराज परिजन और अस्पताल प्रबंधन के बीच विवाद हो गया। आखिर शव के लिए परिजन को कलेक्टर के पास जाना पड़ा। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद परिजन को शव मिला। शाम को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
खंडवा रोड स्थित श्रीयंत्र नगर निवासी 48 वर्षीय राजीव मिश्रा किडनी और दिल की बीमारी से पीड़ित थे। इलाज के लिए उन्हें 10 दिन पहले मेदांता अस्पताल में भर्ती किया गया। वे एसटीआई टेक्सटाइल प्लांट में डिप्टी मैनेजर इलेक्ट्रिकल थे। मरीज के भाई उदयप्रकाश मिश्रा और भतीजे रजत ने बताया कि डॉक्टरों ने हार्ट सर्जरी के लिए कहा और इसका पैकेज खर्च 1.70 लाख रुपए बताया। इसके लिए हम तैयार हो गए और 20 हजार रुपए जमा कर दिए। 31 अगस्त को उनकी हार्ट सर्जरी हुई। इसके बाद से उन्हें होश ही नहीं आया।
उन्हें आईसीयू में रखा गया था। जब भी हम मिलने का बोलते तो हमें मिलने नहीं दिया जाता। बीच-बीच में हम और पैसा जमा कराते रहे। इस तरह 4.50 लाख रुपए जमा करा चुके थे। इसके बावजूद मरीज की हालत बिगड़ती गई, लेकिन डॉक्टरों ने हमें स्पष्ट नहीं किया। मरीज के बीमा के 88 हजार रुपए भी अस्पताल के खाते में ही जमा हो गए। इसके अलावा हमने 50 हजार रुपए भी जमा कराए। रविवार को डॉक्टरों ने बताया कि हालत गंभीर है। बचने के 25 फीसदी चांस हैं। रविवार रात 10.15 बजे डॉक्टरों ने बताया कि मरीज की मौत हो गई। इसके बाद आईसीयू में शव के पास जाने दिया गया।