नैनीताल |
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति-जनजाति परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने उत्तराखंड के शासन प्रशासन में दलितों की भागीदारी न होने पर नाराजगी जताते हुए देश में सरकारी संस्थाओं के निजीकरण को संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
डॉ.राज ने पत्रकारों से कहा कि जब तक समाज के सभी वर्ग संतुष्ट नहीं होंगे तब तक राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता है इसलिए दलितों को आरक्षण जारी रहना चाहिए। आरक्षण किसी वर्ग या जाति के अधिकारों पर डाका नहीं है बल्कि यह समाज के लिए जरूरी है। आरक्षण से एक परिवार की उन्नति होती है जिससे राष्ट्र की जीडीपी में बढोत्तरी होती है लेकिन निजीकरण से दलितों को अवसर नहीं मिल पा रहे हैं।
उन्होंने शिक्षा के निजीकरण को खतरनाक बताया और कहा कि सरकारी स्कूलों में केवल गरीबों एवं दलितों के ब‘चे अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सामाजिक नियम कानून एवं जाति आधारित व्यवस्था थी तब तक देश कई बार गुलाम हुआ लेकिन संवैधानिक आरक्षण लागू होने के बाद से देश गुलाम नहीं हुआ और मजबूत हुआ है।