ढाका।
म्यानमार से बड़ी तादात में रोहिंग्या मुस्लिमों का बांग्लादेश में आना जारी है। कहा जा रहा है कि बीते एक हफ्ते में लगभग 60,000 शरणार्थी देश की पश्चिमी सीमा से बांग्लादेश में भाग कर पहुंच चुके हैं। रोहिंग्या आतंकियों पर नकेल कसने के लिए सेना ने जो कार्रवाई शुरू की है, उससे भड़की हिंसा का असर अन्य मुस्लिमों पर भी पड़ा है।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि बर्मा की सेना और अर्धसैनिक बलों ने देश की पश्चिमी राखिनी राज्य में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ “नरसंहार” शुरू कर दिया है। ब्रिटिश विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने हिंसा को खत्म करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तरह रोहिंग्या के साथ बर्ताव किया जा रहा है, उससे बर्मा की प्रतिष्ठा को भी धक्का लग रहा है।
जॉनसन ने कहा कि इस मामले में आंग-सान सू की को कार्रवाई करनी चाहिए। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यिप एर्दोगान ने बर्मा की सेना पर नरसंहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जो लोग इन घटनाओं की तरफ आंख मूंदे हैं, वे भी इस संहार में सहभागी हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि विस्थापित लोगों की संख्या में वृद्धि होने की आशंका है।
बर्मा की सेना का कहना है कि संघर्ष में अब तक 400 आतंकवादी मारे गए हैं। उधर, इस हमले में बचे नागरिकों का कहना है कि बर्मी सेना लोगों पर कहर बरपा रही है। 41 वर्षीय अब्दुल रहमान ने कहा कि वह चुट पीन गांव में पांच घंटे के हमले के बाद बच निकले। उन्होंने बताया कि रोहिंग्या लोगों के एक समूह को एक बांस की झोपड़ी में घेर लिया गया, जिसे बाद में आग लगा दी गई। मेरे भाई को मार डाला गया।
उसने कहा कि मेरे दूसरे परिवार के सदस्यों के शव खेतों में मिले। उनके शरीरी में गोलियों ने निशान थे और कुछ धारदार हथियार से कटे हुए शव पड़े थे। छह साल और नौ साल के मेरे दो भतीजों के सिर कटे हुए मिले और साली को गोली मार दी गई थी।