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नई दिल्ली |
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय को पहली से 12वीं क्लास तक पढ़ने वाले स्टूडेंट का डेटा नहीं दे रही है। जबकि दूसरे राज्यों से स्टूडेंट के डेटा के साथ यह भी पता चल रहा है कि कितने स्टूडेंट्स के पास आधार कार्ड है। मंत्रालय देश के हर जिले के हर स्कूल के पहली क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक पढ़ने वाले स्टूडेंट का डेटा तैयार कर रहा है। यूनिफाईड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) डेटा में हर स्टूडेंट की अलग से जानकारी होगी।
अब तक बस इतना ही डेटा लिया जाता था कि किस क्लास में कितने बच्चे हैं। पहली बार हर स्टूडेंट का अलग डेटा लिया जा रहा है। जिससे हर बच्चे को ट्रैक करने की शुरुआत हुई है। चाहे स्टूडेंट सरकारी स्कूल में पढ़ता है या फिर प्राइवेट स्कूल में। जहां दूसरे राज्यों से स्टूडेंट्स का डेटा आ रहा है वहीं पश्चिम बंगाल सरकार को बार बार रिमाइंड कराने के बाद भी डेटा साझा नहीं किया जा रहा है।
पहली बार ऐसा नहीं है कि ममता बनर्जी सरकार HRD मिनिस्ट्री को सपॉर्ट नहीं कर रही है। हाल ही में जब स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एचआरडी मिनिस्ट्री ने सुझाव दिया था कि किस तरह स्कूलों में कार्यक्रम किए जा सकते हैं तब भी ममता सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि एचआरडी ने जैसा कहा है वैसा नहीं किया जाए। मिनिस्ट्री के अधिकारी के मुताबिक दूसरे राज्यों से डेटा यूडीआईएसई में भेजा जा रहा है पर ममता सरकार कुछ नहीं कर रही है। अब तक इस सर्वे में जो डेटा लिया जाता था उसमें बस यह जानकारी होती थी किस स्कूल कि किस क्लास में कितने बच्चे हैं। इससे डबल रिपोर्टिंग का चांस भी रहता था। ऐसी शिकायतें भी आती थीं कि जिस स्कूल में बच्चों की संख्या काफी कम है वह भी ज्यादा संख्या बता रहा है। तब चेक करने का कोई तय सिस्टम नहीं था इसलिए कुछ राज्यों से गलत आंकड़े भी आ जाते थे।
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