नाएप्यीडॉ।
म्यांमार के अशांत रखाइन प्रांत की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। पुलिस नाकों और सैन्य अड्डे पर 24 अगस्त को हमले के बाद सेना ने रोहिंग्या विद्रोहियों और उनके अड्डों को खत्म करने के लिए अभियान छेड़ दिया है। इस खूनी टकराव में अब तक करीब 400 लोगों की मौत हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सैन्य अभियान के बाद से 38 हजार रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। बीस हजार से ज्यादा शरणार्थी म्यांमार और बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाकों में फंसे हैं।
दशकों बाद हालात इस कदर खराब हुए हैं। वर्ष 2012 में रखाइन प्रांत की राजधानी सितवे में भड़के दंगों में दो सौ लोग मारे गए थे और 1.40 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। इस बार महज छह दिनों में ही विस्थापितों की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच चुकी है।
म्यांमार की सेना का कहना है कि उसका अभियान आतंकियों के खिलाफ है। सेना ने गुरुवार को कहा कि मरने वालों में 370 रोहिंग्या विद्रोही, 13 सेना के जवान, दो सरकारी अधिकारी और 14 आम नागरिक हैं। चार विद्रोही गिरफ्तार भी किए गए हैं, इनमें 13 साल का एक किशोर भी शामिल है।
इस बीच, नौका दुर्घटना में मारे गए शरणार्थियों की संख्या 40 तक पहुंच गई है। शरणार्थियों से लदी एक नौका बुधवार को म्यांमार और बांग्लादेश को बांटने वाली नफ नदी में डूब गई थी। बांग्लादेश के सीमाई इलाके कॉक्स बजार में हजारों की तादाद में भूखे-प्यासे रो¨हग्या शरणार्थी पहुंच रहे हैं।