लगता है वो जमाना लौट आया है जब पाई-पाई का हिसाब रखना होगा। सरकारी तेल कंपनियों ने पाई-दो पाई करके दो महीने में ही पेट्रोल के भाव छह रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा दिए हैं। कभी दो पैसे, कभी दस पैसे… भाव बढ़ाने की ये ‘हरकत’ 62 दिनों में 52 बार हुई। बदलाव की गति इतनी धीमी कर दी गई कि किसी को इसका अहसास तक नहीं हुआ कि जेब हल्की होती जा रही है।
क्या आपको याद है, पेट्रोल और डीजल को एक जुलाई 2017 से डिकंट्रोल किया गया था। डिकंट्रोल यानी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर तेल कंपनियां हर रोज दाम तय करेंगी। इस व्यवस्था को दो माह पूरे हो चुके हैं। इन 62 दिनों (31 अगस्त तक) में पेट्रोल 6.06 रुपए प्रति लीटर और डीजल 3.72 रुपए तक महंगा हो गया। ये आंकड़े भले ही राजधानी दिल्ली के हैं, लेकिन पूरे देश में दाम बढ़ने की स्थिति लगभग ऐसी ही है।