नई दिल्ली।
ट्रेनों की सुरक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इंडियन रेलवे अगले कुछ सालों में दो लाख कर्मचारियों की भर्ती करेगा। इस भर्ती का मुख्य उद्देश्य रेलवे सेफ्टी और ग्राउंड पेट्रोलिंग को मजबूत करना है। इंडियन रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, जिससे रोजाना लाखों यात्री सफर करते हैं।
मगर, सुरक्षा के लिहाज से इसका रिकॉर्ड कुछ खास अच्छा नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 3 सालों में, ट्रेन हादसों में कम से कम 650 लोगों की मौत हो गई है। पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश में ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई थी।
बताया जा रहा है कि वर्तमान में रेलवे में 16 फीसद सेफ्टी पोस्ट खाली हैं, जिनमें से अधिकांश निचले तबके के पद हैं। इसके कारण 64 हजार किमी लंबे नेटवर्क की पेट्रोलिंग और मेंटीनेंस का काम काफी मुश्किल हो गया है। ऐसे में रेलवे अपने नेटवर्क में झोल को सुधारने के लिए वर्तमान वित्तीय वर्ष में 15 हजार करोड़ रुपए का निवेश करने जा रही है।
रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि यह राशि रेलवे के आधुनिकीकरण के बजट से अलग है। इस पैसे को ट्रैक के नवीनीकरण पर खर्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में औसतन हर साल 115 ट्रेन दुर्घटनाएं हुई हैं। आने वाले दिनों में रेलवे अधिकांश भर्तियां सेफ्टी एंड मेंटिनेंस कैटेगिरी में करेगी। ट्रैक पर पेट्रोलिंग करने वाले और उसे ठीक करने वाले गैंगमैन्स को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के अनुसार ट्रेंड किया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि रेलवे 100 से अधिक ट्रैक निरीक्षण व्हीकल खरीदने की भी योजना बना रहा है। एक ऐसे सेंसर टेक्नॉलजी का पायलट रन भी किया जा रहा है, जिसके जरिए ट्रैक पर किसी भी तरह की क्रैक का पता लगाया जा सकेगा। अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा से संबंधित कार्यों की फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोश’ बनाया गया है। उन्होंने बताया कि रेलवे ने ने असुरक्षित माने जाने वाले कोचों के उत्पादन को रोकने का भी फैसला किया है।