नई दिल्ली |
यह महज संयोग है लेकिन राजनीति में ऐसे संयोग बेहद अहमियत रखते हैं। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय आया है, जब बीजेपी 2019 के लिए ‘मिशन 360’ का आगाज कर चुकी है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह संगठन से लेकर अपनी सरकारों तक के पेच कसते दिख रहे है। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीजेपी के लिए अपने कोर वोटर्स को गोलबंद करने का जरिया बन सकता है। वहीं, पार्टी के पास अल्पसंख्यक विरोधी छवि को बदलने का भी बड़ा मौका है।
कोर वोटर्स लामबंद करने में आसानी
दरअसल ‘तीन तलाक’ का मुद्दा महज मुस्लिम महिलाओं को एक सामाजिक कुरीति से बचाने की कोशिश तक सीमित नहीं था बल्कि इसके पीछे वोटों के ध्रुवीकरण का मंसूबा भी छुपा हुआ था। इसी वजह से इस मुद्दे को उस-उस वक्त ज्यादा धार दी गई, जब-जब किसी न किसी राज्य के विधानसभा चुनाव होने होते थे। फैसला आने के बाद बीजेपी जिस तरह के मूड में दिखाई पड़ रही है उससे तो यही जान पड़ता है कि आने वाले दिनों में वह देश भर में इस मुद्दे को भुनाने की पुरजोर कोशिश में होगी। ऐसा माना जाता है कि इससे पार्टी को अपने कोर वोटर्स को खुश करने का मौका मिलेगा जो कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर कदम ना उठाने के लिए पार्टी को कोसते रहे हैं।