भोपाल।
मध्यप्रदेश से विभाजित होकर बने छत्तीसगढ़ ने अपने पेंशनरों को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने का फैसला कर लिया है, लेकिन प्रदेश में इसको लेकर हलचल भी नहीं है। वित्त विभाग ने कैबिनेट के लिए प्रस्ताव तो बनाया था पर उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।
बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ का वित्त विभाग नए वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने पर सहमति के लिए मध्यप्रदेश सरकार को इस सप्ताह पत्र भेज सकता है। वित्त मंत्री जयंत मलैया ने प्रदेश के पेंशनरों को नए हिसाब से पेंशन देने पर सिर्फ इतना कहा है कि समय है, जल्द निर्णय कर लेंगे।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में तीन लाख से ज्यादा पेंशनर हैं। राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत बंटवारे के पहले के पेंशनरों के मामले में कोई भी फैसला करने से पहले दोनों राज्यों की बीच सहमति होनी जरूरी है। चूंकि, पेंशनरों को लेकर आदेश एक ही जारी होता है, इसलिए पूरा मामला अटक जाता है। छत्तीसगढ़ में पेंशनरों ने आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाया तो कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने के एक माह बाद निर्णय हो गया।
वित्त विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश से सहमति लेने के लिए इस सप्ताह पत्र भेज सकती है। इसको लेकर वहां तैयारी भी हो चुकी है। इधर, प्रदेश में अभी तक पेंशनरों को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने को लेकर कोई हलचल नहीं है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री सचिवालय के स्तर से प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के भी कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं।