नई दिल्ली |
जनता दल (यू) के औपचारिक तौर पर NDA में शामिल होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी मौजूदगी महसूस कराने की एक चुनौती खड़ी हो गई है। नए राजनीतिक समीकरण में नीतीश को NDA में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जोर लगाना होगा, क्योंकि ऐसा होने पर ही वह अपने विकास के एजेंडा को पूरा करने के लिए केंद्रीय संसाधनों से अपने राज्य के लिए बड़ी हिस्सेदारी ले सकेंगे।
बिहार में भले ही नीतीश बीजेपी की मदद से सरकार चला रहे हैं, लेकिन लोकसभा में उनकी पार्टी के केवल दो और राज्यसभा में दो बागियों- शरद यादव और अली अनवर सहित नौ सांसद हैं। यादव और अनवर, जेडी (यू) के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने के बाद पार्टी के खिलाफ हो गए हैं। मौजूदा स्थिति में नीतीश के दल को केंद्र सरकार में दो मंत्री पद मिल सकते हैं।
नीतीश ने शनिवार को पटना में जेडी (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में आने वाले समय की मुश्किलों के बारे में स्पष्ट संकेत दिए थे। इसके साथ ही उन्होंने बिहार में बाढ़ के संकट से निपटने के लिए NDA की अगुवाई वाली केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराई गई मदद को लेकर धन्यवाद भी दिया। यह केंद्र को स्पष्ट संकेत था कि बिहार को भविष्य में बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता मिलनी चाहिए।