कोलकाता |
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ रविवार को गोरखा नेताओं की बैठक के बाद भले ही ऐसा लगने लगा है कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की अगुवाई में चल रहा जन आंदोलन बैकफुट पर आ गया है लेकिन मोर्चा के मुखिया बिमल गुरंग प्रदर्शनकारियों का जोश बढ़ाने में लगे हुए हैं। गुरंग ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में कहा कि वह अलग राज्य की मांग के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे लेकिन उनके इस रुख से पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पर कोर्इ असर हुआ हो, ऐसा नहीं लगता।
ममता सरकार अपने रुख पर अड़ी हुई है। उसे लगता है कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा जल्द अपने कदम पीछे खींच लेगा। दार्जिलिंग में बंद के 62 दिन हो गए हैं और ऐसा लगता है कि GJM के सहयोगी दल बीजेपी ने उसका साथ छोड़ दिया है, जिससे वह हाशिए पर चला गया है। इधर, ममता सरकार हड़ताल खत्म होने तक बातचीत नहीं करने के अपने रुख पर अड़ी हुई है।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि GJM अपने बिछाए जाल में फंस गया है और बदहवासी में उन सबसे पीछा छुड़ाना चाहता है। दार्जिलिंग मामले में बात मनवाने के लिए दबाव की राजनीति करने वाला मोर्चा अब झमेले से निकलने की पुरजोर कोशिश में जुटा है।