भोपाल।
एक रुपए किलो गेहूं-चावल और नमक लेने के लिए अनुसूचित जाति-जनजाति के नाम पर बड़ी गड़बड़ी होने का खुलासा हुआ है। 37 जिलों में इन वर्गों की जितनी आबादी है, उससे कहीं ज्यादा पात्र बनकर सस्ता राशन ले रहे हैं।
इसी तरह अंत्योदय अन्न् योजना (अति गरीब श्रेणी) में सवा दो लाख से ज्यादा ऐसे परिवार पहचाने गए हैं,जिनमें एक ही सदस्य है।
सरकार को आशंका है कि सस्ते राशन के चक्कर में परिवार को विभाजित कर अलग-अलग पात्रता हासिल की गई है। मामला सामने आने के बाद खाद्य विभाग ने कलेक्टरों को अपात्रों की जांच कर उनके नाम पात्रता सूची से हटवाने और पात्र परिवारों के नाम जोड़ने के लिए कहा है।
ऐसे हुआ खुलासा
विधानसभा के मानसून सत्र में पात्र परिवारों को सस्ते राशन की पात्रता पर्ची नहीं दिए जाने का मुद्दा उठा था। इसके देखते हुए खाद्य,नागरिक आपूर्ति विभाग ने समग्र पोर्टल में दर्ज नाम और जनसंख्या के आंकड़े से मिलान कराया।
इसमें ये चौकाने वाला खुलासा हुआ कि 37 जिलों में अनुसूचित जाति-जनजाति की आबादी से ज्यादा नाम पीडीएस की पात्रता सूची में दर्ज हैं।
आबादी के हिसाब से देखें तो प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति की संख्या 2 करोड़ 66 लाख 59 हजार 104 हैं, जबकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पात्रता सुची में ये संख्या 2 करोड़ 80 लाख 91 हजार 394 है।