नई दिल्ली।
कश्मीर की आजादी की बात करने वाले पाकिस्तान के खिलाफ उसके कब्जे वाले पीओके और गिलगित-बल्टीस्तान में फिर आजादी की मांग उठी है। यहां की राजनीतिक पार्टियों ने खुलकर पाकिस्तान का विरोध करने हुए कहा है कि हम पाकिस्तान का हिस्सा नहीं हैं।
खबरों के अनुसार राजनीतिक कार्यकर्ता ताइफघुर अकबर ने आरोप लगाया कि पीओके के लोगों को देशद्रोही कहा जाता है, उन्हें नेशनल एक्शन प्लान के नाम पर जेल में डाल दिया जाता है। लोगों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव किया जाता है, न यहां कोई सड़क है, न कोई कारखाना है। लोगों को यहां बात भी नहीं करने दिया जाता है। किताबों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
पीओके के राजनीतिज्ञ मिसफर खान ने कहा कि पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियों को पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर नाटक खत्म करना होगा, क्योंकि ये क्षेत्र पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पीओके और गिलगिट-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के राजनीतिक दलों द्वारा किया जा रहा लूट और शोषण को रोकने की जरूरत है।
बता दें कि गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों के राजनीतिक और आर्थिक अधिकार के लिए अपनी आवाज उठाने वाले हसनैन रामल को पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कानून के अनुच्छेद 4 के तहत गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों के अनुसार, हसनैन रामल को गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों से संबंधित मामलों को लेकर सोशल मीडिया पर अधिक पोस्ट करने के कारण स्थानीय कानून प्रर्वतन आधिकारियों ने हिरासत में लिया था।