इंदौर ।
सरकार के इशारे पर मेरे साथ अस्पताल में अपराधियों की तरह बर्ताव हुआ। दो दिन मेरा मोबाइल पुलिस की कस्टडी में था। मुझे कार्यकर्ताओं से बात कर आगे की योजना बनाना थी, लेकिन संपर्क नहीं करने दिया गया। कार्यकर्ताओं को मुझसे मिलने नहीं दिया गया। आसपास ढेरों पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए। मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या मैं अपराधी हूं? अस्पताल में इलाज कराने लाए थे या मुझे अपराधी घोषित करने?
यह कहना था नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर का। लगातार छुट्टी की जिद पर अड़ी मेधा को बुधवार दोपहर 1 बजे बॉम्बे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल के बाहर कार्यकर्ताओं की बड़ी भीड़ मौजूद थी। यहां से निकलने के बाद पाटकर ने बागड़ी भवन पहुंचकर आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा की। इसके बाद वे एमवाय अस्पताल में भर्ती घायलों से मिलीं। आंदोलन में झूमा-झटकी में कई लोग घायल हो गए थे। इनमें से चार घायल एमवायएच में भर्ती हैं। यहां से फिर चिखल्दा रवाना होकर अनशन में शामिल हो गईं।
धार के चिखल्दा गांव में विस्थापन का विरोध कर रहे लोगों के साथ अनशन पर बैठी मेधा पाटकर को सोमवार को पुलिस ने बलपूर्वक बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराया था। इसके बाद से अस्पताल छावनी में तब्दील हो गया था।