भोपाल।
प्रदेश के एक लाख से ज्यादा स्कूलों में मिड डे मील (मध्या– भोजन) बनाने वाले 30 हजार रसोइए गायब हैं। रसोइयों को मानदेय का भुगतान सीधे खाते में करने की व्यवस्था को लागू करने पर इसका खुलासा हुआ है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब एक-एक स्कूल, स्व-सहायता समूह, पालक शिक्षक संघ की मैपिंग कररसोइयों की वास्तविक संख्या पता लगाने में जुटा है। आशंका जताई जा रही है कि कुछ जगहों पर कागजों में ही रसोइयों के नाम पर मानदेय का खेल चल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में मिड डे मील का पूरा दारोमदार स्व-सहायता समूह पर है। रसोइयों को एक हजार रुपए के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। कई बार ये शिकायत हो चुकी है कि एक रसोइए से कई संस्थाओं का खाना बनवाया जा रहा है। नियमानुसार 25 छात्रों पर एक रसोइया होना चाहिए।
प्रदेश में 2 लाख 36 हजार 607 रसोइए हैं लेकिन जब इनका मानदेय सीधे खाते में जमा करने के लिए स्कूल, स्व-सहायता समूह, राशन दुकान और पालक शिक्षक संघ की मैपिंग की गई तो 30 हजार रसोइए गायब मिले। अधिकारियों को आशंका है कि कागजों में रसोइयों को दिखाकर मानदेय निकाला जा रहा था।
पूरा खेल स्व-सहायता समूह, स्कूल और पालक शिक्षक संघ की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है, इसलिए विभाग ने पूरी पड़ताल कराने का फैसला किया है।