नई दिल्ली |
संघ से जुड़े बुद्धिजीवियों की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादी आंदोलन का जायजा लिया और अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बस्तर में माओवादी आंदोलन सरकार और विद्रोहियों के बीच की राजनीतिक या विचारधारा की लड़ाई नहीं है। यह पूरी तरह कानून-व्यवस्था का मामला है जिसे वहां की भौगोलिक परिस्थिति ने ज्यादा भयावह बनाया है। गौरतलब है कि बस्तर माओवाद से बुरी तरह प्रभावित है। सरकार की तमाम मशीनरी यहां से माओवादियों के खात्मे में जुटी है। यहां माओवादी हमलों में कई लोगों की जान जा चुकी है।
पिछली सरकारों ने नहीं उठाए कदम
संघ से जुड़े लोगों ने हाल ही में ‘उड़ान’ यानी अनफोल्डेड ड्रामा ऐंड ऐक्ट टु अवेकन नेशन (यूडीएएएन) संगठन बनाया है। इसका मकसद घोषित तौर पर युवाओं के बीच कला व संस्कृति के जरिए राष्ट्रवाद को बढ़ाना है। यह रिपोर्ट उड़ान की ही है जिसमें कहा गया है कि 2005-2006 तक राज्य सरकार ने माओवादियों से निपटने के लिए कोई कारगर रणनीति नहीं बनाई जिससे स्थिति और खराब हुई।