नई दिल्ली |
सिंधु जल संधि पर भारत और पाक के मध्यस्थ विश्व बैंक ने कहा है कि भारत को संधि के तहत पश्चिमी नदियों पर पनबिजली परियोजना बनाने की इजाजत है। भारत की दो परियोजनाओं के डिजाइन पर पाकिस्तान ने ऐतराज किया था। इस तकनीकी मुद्दे पर दोनों देशों में सचिव स्तर की बातचीत हुई है। बातचीत की समाप्ति पर विश्व बैंक ने मंगलवार को बताया कि यह बातचीत सद्भाव और सहयोग के माहौल में हुई। दोनों पक्ष बातचीत आगे जारी रहने पर सहमत हुए हैं। अगले दौर की बातचीत वॉशिंगटन में सितंबर में होगी।
जम्मू कश्मीर में किशनगंगा (330 मेगावॉट) और रातले (850 मेगावॉट) पनबिजली परियोजनाओं के भारत के डिजाइन पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तान ने पिछले साल वर्ल्ड बैंक का रुख किया था। किशनगंगा प्रॉजेक्ट झेलम की सहायक नदी, जबकि रातले प्रॉजेक्ट चेनाब नदी से जुड़ा है। संधि में इन दोनों नदियों के साथ सिंधु नदी को पश्चिमी नदियों के तौर पर परिभाषित किया गया है। इन नदियों के पानी के इस्तेमाल पर पाकिस्तान को किसी बंदिश का सामना नहीं करना पड़ता है। 1 अगस्त को जारी फैक्टशीट में विश्व बैंक ने कहा है कि भारत जिन रूपों में इन नदियों का पानी इस्तेमाल कर सकता है, उनमें पनबिजली परियोजनाएं बनाने की भी इजाजत है। हालांकि इसकी कुछ सीमाएं भी बताई गई हैं।
दोनों देशों के बीच 57 साल पुरानी इस संधि पर सवाल उठने लगे थे। सीमा पार से होने वाले आतंकवादी हमलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। भारत में संधि के तहत नदियों से मिलने वाले पानी की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया था। विश्व बैंक का कहना है कि हमने दोनों देशों के बीच विवाद के समाधान के लिए काम किया है। दोनों देशों के वित्त मंत्रियों से कई बार बातचीत की गई है। बैंक के टॉप अधिकारी दोनों देशों का दौरा कर चुके हैं। बैंक की लोकल टीमें दर्जनों बैठकों का आयोजन करा चुकी हैं।