इंदौर।
जीएसटी लागू होने के साथ ही खुला घी बेच रहे डेयरी वालों ने मुनाफे का नया फॉर्मूला निकाल लिया है। इसमें दूध का व्यापार पति के नाम तो घी की बिक्री पत्नी या किसी दूसरे परिजन के नाम कर ग्राहकों से वसूला जा रहा टैक्स भी दुकानदार अपनी जेब में डाल रहे हैं। इससे घी पर लागू टैक्स सरकार को नहीं मिल रहा, वहीं ग्राहक की जेब कट रही है।
1 जुलाई से लागू जीएसटी में घी पर 12 प्रतिशत दर से टैक्स लगाया गया है, जबकि दूध को टैक्स फ्री श्रेणी में रखा गया है। जीएसटी के साथ ही बाजार में घी की कीमतें 20 से 40 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गई हैं। यह बढ़ोतरी पैक्ड सहित खुले में बेच रहे डेयरी वालों ने भी की है। जबकि दूध को टैक्स फ्री का हवाला देते हुए डेयरी वाले न तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन ले रहे हैं, न सरकार को टैक्स चुका रहे हैं।
रजिस्ट्रेशन लेना होगा
वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल के मुताबिक जीएसटी में ऐसे व्यापारियों को रजिस्ट्रेशन से छूट है, जो सिर्फ टैक्समुक्त वस्तुओं का व्यापार कर रहे हैं। दूध इसमें शामिल हैं, इसलिए डेयरी वाले रजिस्ट्रेशन नहीं ले रहे। हालांकि व्यापारी जीएसटी में आने वाली एक भी वस्तु बेचता है तो उसे रजिस्ट्रेशन लेना पड़ेगा। उसके टर्नओवर की गणना में टैक्स फ्री और टैक्स वाली दोनों वस्तुओं का कारोबार शामिल होगा। इस तरह दूध वाला घी बेच रहा है तो उसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेकर कर चुकाना होगा।