विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियां जहां थमती है…उसके बीचों बीच खड़ा सरदार सरोवर बांध अब पूरा हो जाने को बेताब है। प्रोजेक्ट शुरू होने से लेकर अब तक इसे तिल-तिल बढ़ते और बनते देख रहे 2000 से अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर बांध की ऊंची-ऊंची दीवारें, बड़ी-बड़ी मशीनें, तीन राज्यों के लिए बिजली पैदा करती टर्बाइनें, हजारों किमी लंबी कनालों से बहकर खेतों में पहुंच रहा पानी और जंगल सब इस बात के गवाह हैं कि 38 साल पहले देखे गए एक सपने के पूरे होने के क्या मायने है।
43 हजार से ज्यादा परिवारों के विस्थापन के दर्द से इसकी तुलना नहीं की जा सकती पर हजारों लोगों ने मिलकर इंजीनियरिंग का जो नमूना तैयार किया है उसे भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। आज की तारीख में यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 31 जुलाई 2017 (विस्थापन पूर्ण करवाने) का इंतजार हो रहा है।
बांधस्थल के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर बीएन पटेल बताते हैं अगस्त माह में इसे धीरे धीरे 130 मीटर तक भर देंगे। इससे ज्यादा पानी आने पर बांध के 30 गेट खोल दिए जाएंगे। इससे मध्यप्रदेश के डूब इलाकों में 2013 के बाढ़ में जो स्थिति बनी थी वो नजारा बन सकता है।
सितंबर महीने में इसे पूरी क्षमता (138.68 मीटर) से भरने की कोशिश करेंगे। वे कहते हैं इस बांध से हम सिर्फ गुजरात के 15 जिलों के 3112 गांवों में सिंचाई का पानी ही नहीं पहुंचा रहे हैं बल्कि राजस्थान के दो गांव जैसोर और बाड़मेर जैसे सूखाग्रस्त इलाकों में पानी पहुंचा दिया, जहां कहीं से भी पानी नहीं पहुंच सकता था।