भोपाल।
‘भारत ही नहीं पूरी दुनिया में बीते 10 साल में बाल शोषण के मामले बेहद तेजी से बढ़े हैं। भारत में तो इसकी वृद्धि 5 गुना रही, जबकि बाल शोषण के लिए बना कानून बेकार है। इसे और सख्त होना चाहिए, लेकिन कानून सख्त होने से ही कुछ नहीं हो। जरूरत है सेक्स एजुकेशन की। सरकार को स्कूल की प्रारंभिक शिक्षा में ही बच्चों को सेक्स एजुकेशन देना होगा। बच्चे को अपने और दूसरे के शरीर के बारे में जानकारी होगी, तभी वह अपने साथ होने वाले शोषण का विरोध कर पाएगा और इसके बारे में माता-पिता को बता पाएगा।’
स्कूली कोर्स में सेक्स एजुकेशन शामिल करने की वकालत गुरुवार को नोबल प्राइज विजेता सत्यार्थी ने की। वे यहां ‘सुरक्षित बचपन सुरक्षित भारत’ के तहत शुरू करने वाले अभियान की जानकारी देने आए थे। उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद पॉक्सो कानून लगाया गया। इसकी हकीकत यह है कि बीते एक साल में 15 हजार मामले पूरे देश में दर्ज हुए, लेकिन सिर्फ 1 फीसदी में ही आरोपियों को साजा मिल पाई।
अधिकांश मामलों में तो पुलिस आरोप ही साबित नहीं कर पाई। अगर इसी गति से मामलों का निराकरण हुआ तो फिर समाज में सुधार कैसे होगा। सभी धर्म गुरुओं को इसके लिए सामने आना होगा। उन्हें इस तरह के अपराधियों को समाज से बहिष्कृत करना होगा। जब सब एक साथ मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे, तभी इससे निजात मिल पाएगी।