पटना।
बिहार विधानसभा में शुक्रवार की सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री नीतीश को बहुमत साबित करना है और इसके लिए वो सुबह 10.30 बजे ही विधानसभा पहुंच गए हैं, थोड़ी देर बाद उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी पहुंचे। आज विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। नीतीश कुमार के पहुंचते ही राजद विधायकों ने जमकर नारेबाजी की और नीतीश कुमार इस्तीफा दो, नीतीश कुमार वापस जाओ, के नारे लगाए।
बिहार विधानसभा के विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू हो गई है और विधानसभा के भीतर भी राजद विधायक हंगामा कर रहे हैं और इसी बीच राजद की तरफ से तेजस्वी यादव को विरोधी दल का नेता मनोनीत किया गया है और विधानसभा अध्यक्ष को प्रस्ताव दिया गया, जिसे उन्होंने मंजूर कर लिया है।
नेता विपक्ष बनते ही तेजस्वी यादव ने नीतीश के खिलाफ हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जनता ने महागठबंधन को पांच साल के लिए चुना था लेकिन हमारे साथ, बिहार की जनता के साथ धोखा देकर महागठबंधन को तोड़ दिया। नीतीश जी का ये कौन सा सिद्धांत है।
नीतीश पर आरोप लगाने के साथ ही एनडीए और जदयू के विधायक भी आक्रोशित हो गए और वेल में आकर हंगामा शुरू कर दिया है। राजद के विधायक आक्रोशित हैं और हाथ में तख्तियां लिए हुए हैं और नीतीश कुमार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।
तेजस्वी यादव भी विधानसभा पहुंच चुके हैं। राजद नेताओं ने एक सुर में नीतीश कुमार को धोखेबाज ठहराया है और कहा है कि सत्र तबतक नहीं चलने देंगे जबतक मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं दे देते।
राजद नेताओं का हंगामा जारी है तो वहीं विधानसभा परिसर में जय श्रीराम के नारे भी लगाए जा रहे हैं। एक-एक कर सभी सदस्य विधानसभा पहुंच रहे हैं। तेजस्वी और तेजप्रताप पहले वीआईपी गेट से जाते थे और आज उन्हें मुख्य द्वार से जाना पड़ा।
बिहार में गुरुवार को राजग की नई सरकार बन गई। अब नीतीश कुमार इस सरकार का बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा पहुंच चुके हैं। वो 11 बजे सदन में फ्लोर टेस्ट से गुजरेंगे। आंकड़ों पर नजर डालें तो जदयू और एनडीए को मिलाकर कुल 132 विधायकों के समर्थन का दावा है जबकि बहुमत के लिए 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है।
इस पूरे मामले में खास बात यह है कि जदयू के नेता नाराज हैं और ऐसे में किसी विधायक ने बगावत नहीं की तो सरकार अपना बहुमत साबित कर देगी। वहीं दूसरी तरफ खबर है कि राज्य में महागठबंधन को दूसरा झटका लग सकता है और कांग्रेस के 18 विधायक पार्टी का दामन छोड़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो महज 27 विधायकों के साथ गठबंधन में शामिल कांग्रेस के पास सिर्फ 9 विधायक बचेंगे।
गुरुवार को ही नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री और सुशील कुमार मोदी ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही शासन की बागडोर संभाल ली। केंद्र व बिहार में 21 साल बाद एक जैसी गठबंधन सरकार है। तब बिहार व केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार थी।