लखनऊ |
कांग्रेस के हाथ से नेहरू भवन (पीसीसी मुख्यालय) फिसल सकता है। गोमतीनगर के एक कारोबारी परिवार ने इस पर दावा ठोक दिया है। परिवार के सदस्य मनीष अग्रवाल ने बुधवार को नगर निगम में आवेदन देकर यह भवन अपने परिवार के पांच लोगों के नाम करने का अनुरोध किया। नगर निगम को दिए दस्तावेजों में मनीष का दावा है कि उनके दादा रामस्वरूप अग्रवाल ने इसे नीलामी में खरीदा था, लेकिन 1986 में गलत तरीके से इसके मालिकों में कांग्रेस का नाम भी शामिल कर दिया गया।
नगर निगम में नामांतरण अर्जी दाखिल करने आए मनीष अग्रवाल ने बताया कि 24 अप्रैल, 1961 में उनके दादा रामस्वरूप अग्रवाल ने पुनर्वास मंत्रालय से यह कोठी नीलामी में खरीदी थी। सबसे ऊंची बोली के एवज में मंत्रालय को 1.75 लाख रुपये भी चुकाए गए थे। इसके बाद चंद्रभानु गुप्त के मुख्यमंत्रित्व काल में कांग्रेस के कार्यालय के लिए कोठी में एक कमरा दिया था।
मनीष का दावा है कि निगम में 1976 तक के दस्तावेजों में प्रॉपर्टी उनके दादा रामस्वरूप अग्रवाल और उनके चचेरे भाई पुरुषोत्तम अग्रवाल की पत्नी पद्मावती अग्रवाल के नाम पर दर्ज है। लेकिन 1986 के दस्तावेजों में इन नामों के अलावा फर्जी तरीके से कांग्रेस (इंदिरा) के केयर टेकर के तौर पर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहसिना किदवई का नाम शामिल कर दिया गया। मनीष का कहना है कि नगर निगम में संपत्ति अपने परिवार के नाम दर्ज होने के बाद वह इस पर कब्जे के लिए कोर्ट भी जाएंगे।