नई दिल्ली |
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि नमामि गंगे परियोजना के परिणाम 2018 में आने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने राज्यसभा में कहा कि सरकार गंगा नदी संरक्षण को गति देने और इस मार्ग में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए एक कानून लाने पर विचार कर रही है। गंगा संरक्षण के बारे में उन्होंने यह भी कहा कि गंगा कोई टेम्स या राइन नदी नहीं है जो कि एक बार साफ होने पर हमेशा के लिए साफ रहेगी क्योंकि इसमें प्रति दिन करीब 20 लाख लोग और प्रति वर्ष करीब 60 करोड़ लोग डुबकी लगाते हैं।
उमा ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि सरकार गंगा कानून लाने पर विचार कर रही है। संसद में लाने से पहले इस कानून के मसौदे को राज्यों के साथ साझा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जस्टिस गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता वाली समिति को इस कानून का मसौदा बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने प्रस्तावित कानून पर अपनी रिपोर्ट उनके मंत्रालय को सौंप दी हैं। उमा ने कहा कि सरकार इस प्रस्तावित कानून पर विचार कर रही है। इस प्रस्तावित कानून को राज्यों के साथ भी साझा किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में राज्यों ने मांग की थी कि गंगा संरक्षण के काम में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए एक कानून बनाया जाए। इसीलिए सरकार इस कानून पर विचार कर रही है। मोदी सरकार के शासनकाल में हुए कार्यों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गंगा संरक्षण के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। उन्होंने कहा कि अभी तक जितने काम किए गए हैं, उनके परिणाम साल 2018 से आने शुरू हो जाएंगे।
बनारस के घाटों, विशेषकर मणिकर्णिका घाट के बारे में पूछे गए पूरक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि बनारस के घाट बहुत प्राचीन एवं ऐतिहासिक हैं। इनसे कोई भी छेड़छाड़ या बदलाव करने से पहले उच्च न्यायालय की अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि इन घाटों के संरक्षण और अपशिष्ट शोधन के बारे में बनाई गई परियोजनाओं से उच्च न्यायालय को अवगत कराया गया है। उमा ने कहा कि गंगा की स्वच्छता केवल सरकार के प्रयासों से संभव नहीं हो सकती। आज से 50-60 साल पहले जिस तरह आम जनता के प्रयासों से गंगा स्वच्छ रहती थी उसी तरह की स्वच्छता को फिर से कायम करने के लिए जनता के बीच जागरुकता के प्रयास किए जाएंगे।