नई दिल्ली।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) नोटबंदी के बाद जमा हुए 500 और 1000 के पुराने नोटों में नकली नोटों को छांटने के लिए किराये पर मशीनें लेगा। इन 12 करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम्स (सीवीपीएस) को छह महीने के लिए लिया जाएगा। केंद्रीय बैंक फिलहाल नोटबंदी के बाद देशभर में जमा हुए 500 और 1000 के नोटों की गिनाई के काम में जुटा है।
बीते साल नवंबर में सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था। इससे पहले मई में भारतीय रिजर्व बैंक ने 18 सीवीपीएस के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था। हालांकि, बाद में इस टेंडर को रद्द कर दिया गया था।
अब 12 ऐसे सिस्टम्स के लिए नया टेंडर जारी किया गया है। टेंडर डॉक्यूमेंट के मुताबिक, सिस्टम्स की प्रति सेकेंड 30 नोटों को प्रोसेस करनी की क्षमता होनी चाहिए।
माना जाता है कि जब 12 जुलाई को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल संसदीय समिति के समक्ष पेश हुए तो उन्होंने बताया था कि जमा हुए नोटों की गिनती का काम जारी है।
लिहाजा, वह बंद की गई नोटों पर कोई आंकड़ा देने में असमर्थ हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, नोटबंदी की घोषणा वाले दिन यानी आठ नवंबर तक सर्कुलेशन में 500 रुपए के 1,716.50 करोड़ और 1,000 रुपए के 685.80 करोड़ नोट थे।