नई दिल्ली।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की औपचारिक विदाई हो चुकी है और आज शाम 7.30 बजे वो आखिरी बार देश के नाम अपना संबोधन देंगे। इसके बाद 25 जुलाई को शपथ लेते ही रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन जाएंगे।
इससे पहले प्रणब दा ने संसद में अपने आखिरी भावुक विदाई भाषण के दौरान मोदी सरकार को अध्यादेश लाने से बचने की नसीहत देने में हिचक नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि केवल बेहद जरूरी परिस्थितियों में ही अध्यादेश लाया जाना चाहिए। इतना ही नहीं वित्तीय मामलों में तो अध्यादेश का रास्ता बिलकुल नहीं अपनाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने संसद में बिना चर्चा के ही विधेयक पारित करने पर चिंता जताते हुए कहा कि यह जनता काविश्वास तोड़ता है। वहीं, हंगामे के कारण संसद के बाधित होने पर भी उन्होंने कहा कि इसकी वजह से सरकार से ज्यादा नुकसान विपक्ष का होता है।
संसद के केंद्रीय कक्ष में भावपूर्ण विदाई समारोह के दौरान प्रणब मुखर्जी ने कहा कि संसद का सत्र नहीं चलने के दौरान तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यपालिका को अध्यादेशों के जरिए कानून बनाने के असाधारण अधिकार दिए गए हैं। मगर उनका दृढ़ मत है कि अध्यादेश केवल बाध्यकारी परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिए। खासकर उन विषयों पर तो अध्यादेश बिलकुल नहीं लाना चाहिए जिन पर संसद या संसदीय समिति विचार कर रही हो या जिन्हें संसद में पेश किया गया हो।
निवर्तमान राष्ट्रपति ने बिना चर्चा के विधेयक पारित होने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने की सलाह देते हुए कहा कि जब संसद कानून निर्माण की अपनी भूमिका निभाने में विफल हो जाती है या बिना चर्चा के कानून लागू करती है तो वह जनता द्वारा व्यक्त विश्वास को तोड़ती है।