बरेली |
वीवीआईपी कल्चर खत्म करने का दावा करने वाली यूपी की योगी सरकार चाहती है कि सभी नैशनल और स्टेट हाइवे के टोल प्लाज पर सांसदों और विधायकों के लिए अलग लेन हो। इस संबंध में जारी किए निर्देशों को लेकर नौकरशाहों में खासी नाराजगी देखी जा रही है। उन्हें लग रहा हैा कि इस कदम से यह संदेश जाएगा कि सरकार वीवीआईपी कल्चर खत्म करने का सिर्फ ढोंग कर रही है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीआईपी संस्कृति खत्म करने की पहल करते हुए सरकारी गाड़ियों से लालबत्ती हटाने का फैसला किया था।
15 जुलाई को इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को लिखे पत्र में यूपी सरकार में अपर मुख्य सचिव सदाकांत ने कहा है कि केंद्र के नियमों के मुताबिक, यूपी के किसी भी विधायक, एमएलसी और सासंद से टोल टैक्स न वसूला जाए। लेटर में कहा गया है, ‘सभी जिला मैजिस्ट्रेट यह सुनिश्चत करेंगे कि उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले हर टोल प्लाज में विधायकों और सांसदों के लिए एक अलग लेन हो ताकि उन्हें वहां से गुजरने में किसी तरह की असुविधा न हो।’
इस संबंध में जब सदाकांत से बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘पत्र में NHAI और PWD के अधिकारियों से सिर्फ इतना कहा गया है कि केंद्र सरकार के नियमों का सभी टोल प्लाजा पर पालन किया जाए। विधान परिषद के कुछ सदस्यों ने शिकायत की थी कि उनके साथ टोल प्लाजा पर सही व्यवहार नहीं किया जा रहा है। उनसे टोल टैक्स मांगा जाता है, जबकि नियम के हिसाब से उन्हें इससे छूट मिली हुई है। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि चूंकि टोल प्लाजा पर काम करने वाले ज्यादातर लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं, इसलिए वह एमएलसी का मतलब नहीं समझते और MLA का ID कार्ड दिखाने को कहते हैं। यही वजह है कि मैंने अपने पत्र में अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि छूट के दायरे में आने वाले सभी लोगों से टोल न लिया जाए और उन्हें भी उतनी ही इज्जत दी जाए। इसके अलावा, सभी टोल प्लाजा में इमर्जेंसी एग्जिट के लिए एक अलग लेन होता है। वह वीआईपी, ऐम्बुलेंस, पुलिस जीप आदि के लिए आरक्षित होता है।’