इंदौर।
कृषि कॉलेज के दो वैज्ञानिकों डॉ. साईं प्रसाद व रिटायर्ड डॉ. एएन मिश्रा ने 1997 से 2008 तक रिसर्च करने के बाद गेहूं की दो ऐसी किस्में ईजाद की हैं, जिनमें प्रोटीन और ग्लूकोज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये जल्दी पचने वाली हैं। इन दोनों को निजी कंपनियां भी बेच रही हैं, लेकिन इसका संरक्षण कॉलेज के हाथ में है। प्रदेश के साथ-साथ पूर्वी देशों और दुबई में इनकी खूब मांग है। पूर्णा और पोषण नाम की दोनों किस्में वर्तमान में प्रदेश की 25 फीसदी भूमि पर बोई जा रही हैं। इनकी बड़ी खूबी यह है कि ये कम पानी में भी अधिक उत्पादन देती हैं।
दलिया, बाटी, बाफला, सूजी, पास्ता में ज्यादा उपयोग
एचआई- 8663 पोषण किस्म को मालवीय वीट, डुर्रम वीट व टटिया वीट के नाम से भी जानते हैं। इसकी खासियत यह है कि इसका दलिया, बाटी, बाफला, सूजी और पास्ता प्रोडक्ट में ज्यादा उपयोग हो रहा है। यह प्रति हेक्टेयर पर 65 क्विंटल उत्पादन देती है। मालवा के इंदौर, धार, देवास और उज्जैन सहित मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों को मिलाकर 15 फीसदी में इसकी बोवनी की जा रही है। इसे दुबई व ईस्टर्न देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है।