नई दिल्ली |
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि नक्सली या आतंकवादी हमले में शहीद होने वाले सेना और अर्द्धसैनिक बल के जवानों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि, दोनों के सेवानिवृत्ति संबंधी नियमों में भिन्नता है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर द्वारा आतंकवादी या नक्सली हमलों में सेना और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल के जवानों के शहीद होने पर एकसमान दर्जा और सुविधाएं देने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में रिजिजू ने कहा कि सेना और अर्द्धसैनिक बल की एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि सेना और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल में सेवानिवृत्ति की आयु और सेवा नियमों आदि में भिन्नता के कारण इन शहीदों के परिजनों को मिलने वाली सुविधाएं भी भिन्न हैं। रिजिजू ने बताया कि ड्यूटी के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और असम राइफल्स के जवानों के परिजनों को अनुग्रह राशि, परिवारिक पेंशन, निकटतम परिजन को अनुकंपा पर नियुक्ति और बच्चों को छात्रवृत्ति आदि लाभ दिए जाते हैं। इसी तरह सेना के जवानों के लिए अलग नियम हैं।