नई दिल्ली |
परमाणु हथियारों पर बैन लगाने की 120 से ज्यादा देशों की संधि में भारत समेत परमाणु हथियारों से लैस कई ताकतें शामिल नहीं हुईं। भारत ने अपने इस कदम को वाजिब बताया है।
संयुक्त राष्ट्र में 120 से ज्यादा देशों ने परमाणु हथियारों पर बैन लगाने के लिए पहली ‘ग्लोबल’ बताई गई संधि को सोमवार को मंजूरी दे दी। संधि पर हुई वोटिंग के पक्ष में 122 मत पड़े, जबकि नीदरलैंड का वोट इसके खिलाफ रहा और सिंगापुर इससे गैरहाजिर रहा। न्यू यॉर्क में 7 जुलाई को परमाणु हथियारों पर रोक लगाने की संधि पर बातचीत खत्म हुई थी। भारत ने संधि पर हुई बातचीत में हिस्सा नहीं लिया। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, उत्तर कोरिया, इजरायल और पाकिस्तान ने भी हिस्सा नहीं लिया।
बातचीत संयुक्त राष्ट्र महासभा के पिछले साल के एक रेजॉल्यूशन के तहत तय नियमों के मुताबिक हुई थी, जिससे भारत गैरहाजिर रहा था। भारत का पक्ष पूछे जाने पर सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि भारत बातचीत में गैरहाजिरी के मुद्दे पर अपना रुख साफ कर चुका है।
भारत का मानना है कि यह संधि किसी तरह से पहले से मौजूद अंतरराष्ट्रीय कानून को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं देती। भारत इस संधि और इससे जुड़ी जिम्मेदारियों का पालन करने के लिए बाध्य भी नहीं है।
प्रवक्ता के मुताबिक, हमारा देश ऐसे परमाणु निरस्त्रीकरण प्राथमिकता देता है, जो पूरी दुनिया में लागू हो, जिसमें भेदभाव ना हो और जिसकी पुष्टि की जा सके। परमाणु हथियार से मुक्त दुनिया के लक्ष्य के प्रति भारत का कमिटमेंट कायम है। यह लक्ष्य कदम-दर-कदम ही हासिल किया जा सकता है। भारत इस मामले में कॉन्फ्रेंस ऑफ डिसआर्मामेंट में कॉम्प्रेहेंसिव न्यूक्लियर वेपन कन्वेंशन के तहत बातचीत शुरू करने को सपोर्ट करता है, जो बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण पर बातचीत के लिए दुनिया का एकमात्र मंच है।