छिंदवाड़ा ।
एक प्रतिष्ठित फार्मा कंपनी ने छिंदवाड़ा के जंगलों में पाया जाने वाला बकरे के चारे से डेंगू की दवा बनाने का दावा किया गया है। बहुतायत में पाया जाने वाला जलजामुनी पौधा (बॉयलाजिकल नाम कोक्यूलस हिरसूट्स है) पर दवा कंपनी की रिसर्च लगभग पूरी हो चुकी है।
सतपुडा की हसीनवादियों में बसे छिंदवाड़ा जिले की पहचान अब डेंगू की दवा के लिए उपयोग होने वाले जलजामुनी पौधे के रूप में जुड़ जाएगा। इस पौधे का उपयोग जिले में बकरा-बकरी के चारे के लिए किया जाता है, लेकिन विशेषज्ञों द्वारा की गई रिसर्च में यह बात सामने आई कि इस पौधे से डेंगू की दवा बनाई जा सकती है। दिल्ली से आए सनफार्मा कंपनी के साइंटिस्ट और अधिकारियों ने वन विभाग से इस पौधे की मांग रखते हुए सहयोग मांगा है। साथ ही वन विभाग से जलजामुनी पौधों का संग्रहण करने का भी आग्रह किया है।
वन विभाग ने अफसरों ने बताया कि सनफार्मा कंपनी के एमडी सोएनाल मुकर्जी ने मुख्य वनसरंक्षक यूके सुबुद्धि एवं डीएफओ एसएस उद्दे से चर्चा करते हुए पौधे की उपयोगिता की जानकारी दी। कंपनी के अधिकारियों के दल ने वनाधिकारियों को बताया कि उन्हें हर हाल में बहुतायात में जलजामुनी पौधा चाहिए। ताकि इन पौधों के माध्यम से डेंगू की दवा तैयार की जा सके।