नई दिल्ली |
कांग्रेस के दामन पर सबसे बड़े ‘दाग’ के रूप में जाना जाने वाला बोफोर्स घोटाला एक बार फिर पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सीबीआई बोफोर्स तोप सौदे की जांच फिर शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगने वाली है। संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमिटी (PAC) के निर्देश पर सीबीआई ऐसा करने वाली है। कैग की लंबित रिपोर्ट्स की जांच कर रही PAC की एक उप-समिति के अध्यक्ष BJD नेता भातृहरि माहताब ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से गुरुवार को कहा कि वे बोफोर्स सौदे के ‘सिस्टैमिक फेल्यर’ और घूस लेने के आरोपों की फिर जांच करें।
गुरुवार को माहताब और बीजेपी नेता निशिकांत दुबे सहित उप-समिति के अन्य सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली हाई कोर्ट के 2005 के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा जिसमें बोफोर्स मामले में कार्यवाही निरस्त कर दी गई थी। बताया जा रहा है कि इस दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर बाबरी विध्वंस मामले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ आरोप फिर से निर्धारित किए जा सकते हैं, तो फिर बोफोर्स मामले में ऐसा क्यों नहीं हो सकता।
जब सीबीआई के निदेशक ने उप-समति को बताया कि एजेंसी को इस सिलसिले में केंद्र सरकार से निर्देश लेने होंगे, तो माहताब ने कहा कि एजेंसी सिर्फ अपना काम करे और फैसला केंद्र सरकार पर छोड़ दे। इस पर वर्मा ने कहा कि वह दो हफ्ते के अंदर समिति के सामने पेश होंगे।