भोपाल।
राष्ट्रपति चुनाव में 17 विपक्षी राजनीतिक दलों की प्रत्याशी और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि राजनीति और जीवन में कभी-कभी ऐसा होता है, जब साथी साथ छोड़कर चले जाते हैं। वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोध को लेकर बोल रही थीं।
पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने कहा कि यह चुनाव दलित बनाम दलित नहीं है। हमारी तरफ से दलित का खेल शुरू नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने (एनडीए) इसकी शुरूआत की।
उन्होंने कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के विधायकों व सांसदों को बंद दरवाजों के बीच संबोधित करते हुए मार्मिक अपील की कि आज देश की व्यवस्था को धर्मों के नाम पर बिगाड़ा जा रहा है। भाजपा द्वारा ऐसी विचारधारा को थोपा जा रहा है, जिससे हम कमजोर होंगे और पीछे चले जाएंगे।
सूत्रों ने बताया कि मीरा कुमार ने कहा हमारा देश बहुधर्मी है, जिसमें सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की जरूरत है। भाजपा साम्प्रदायिकता की विचारधारा लेकर चलती है। जब तक हम धर्मनिरपेक्ष नहीं होंगे तो भारत, भारत नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि यह चुनाव विचारधारा की लड़ाई है, जिसमें संख्या बल का महत्व नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव की प्रत्याशी मीरा कुमार ने करीब एक घंटे तक कांग्रेस और बसपा के विधायकों को संबोधित किया। सांसद कांतिलाल भूरिया भी बैठक में मौजूद थे। बैठक में महेंद्र सिंह कालूखेड़ा, बाला बच्चन, उमंग सिंघार, निशंक जैन, शंकुलता खटीक सूचना देकर अनुपस्थित रहे।