नई दिल्ली |
पनामा गेट मामले में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ बुरी तरह घिर चुके हैं। जांच समिति ने शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की सिफारिश की है। छह सदस्यीय संयुक्त जांच दल (JIT) ने शरीफ परिवार के व्यापारिक लेनदेन की जांच की और रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी। उसने सिफारिश की कि शरीफ और उनके बेटे हसन नवाज और हुसैन नवाज के साथ-साथ उनकी बेटी मरियम नवाज के खिलाफ भी राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) अध्यादेश, 1999 के तहत भ्रष्टाचार का एक मामला दर्ज किया जाना चाहिए। ऐसे में यदि नवाज शरीफ की कुर्सी हिलती है तो इसका भारत पर भी असर देखने को मिल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट को लागू करने का फैसला करता है तो अगले सप्ताह तक शरीफ को या तो पद से हटाया जा सकता है या फिर पूरी तरह निष्प्रभावी कर दिए जाएंगे। आने वाले हफ्तों या महीनों में इसका भारत पर भी असर होगा, विशेषकर सुरक्षा के मामले में। सत्ता में परिवर्तन का मतलब है कि इस्लामाबाद में नए ‘खिलाड़ी’ और नए मुद्दे होंगे। गवर्नेंस और विदेशी नीति का काम रावलपिंडी में सेना के हवाले हो जाएगा। सेना को गवर्नेंस में आगे लाना स्पष्ट रूप से घातक होगा।
शरीफ अभी भी पाकिस्तान में लोकप्रिय हैं और यदि सेना की अगुआई में उन्हें हटाया जाता है तो उनकी लोकप्रियता में इजाफा ही होगा। अशफाक कियानी से लेकर कमर बाजवा तक सिविलियन सरकार को हटाने के अनिच्छुक दिखे हैं, भले ही वह देश को पर्दे के पीछे से चला रहे हों।