भोपाल।
राज्य सरकार निजी स्कूलों को एडमिशन के नाम पर एक साल तक की फीस वसूलने की छूट देने जा रही है। ‘मप्र निजी विद्यालय (फीस में अनियमित वृद्धि तथा अन्य अनुषांगिक विषयों का नियंत्रण) अधिनियम 2016″ के फाइनल ड्राफ्ट में ये प्रावधान शामिल किया गया है। ऐसा कर सरकार निजी स्कूलों को एक प्रकार से डोनेशन लेने की कानूनी आजादी दे रही है। सरकार ये विधेयक मानसून सत्र में विधानसभा पटल पर रख सकती है और कानून को इसी शैक्षणिक सत्र से लागू किया जा सकता है। ड्राफ्ट पर वरिष्ठ सदस्य सचिव कमेटी मुहर लगा चुकी है।
फीस कमेटी के ड्राफ्ट में ढाई साल में पांच बार संशोधन हो चुका है और हर बार निजी स्कूलों को ही फायदा हुआ है। कानून में स्कूलों की शिकायत के लिए छात्रों से एक हजार रुपए शुल्क लेने का प्रावधान है। इसका विरोध भी हुआ, लेकिन सरकार ने प्रावधान नहीं हटाया। बल्कि क्लेरिकल स्टाफ के लिए भी फीस लेने की शर्त जोड़ दी।
स्कूल अब ट्यूशन फीस के अलावा क्लेरिकल, स्पोर्ट्स, लैब, लाइब्रेरी, ट्रांसपोर्टेशन और अधोसंरचना फीस कानूनी रूप से ले सकेंगे। कानून में छात्र और अभिभावकों को सिर्फ इतनी सहूलियत दी गई है कि 5वीं से 6वीं, 8वीं से 9वीं और 10वीं से 11वीं में जाने पर स्कूल प्रवेश फीस नहीं ले सकेंगे। वहीं एडमिशन फार्म 100 रुपए से ज्यादा में नहीं बेच सकेंगे।