मुंबई।
हाल ही में मुंबई के एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के आरोप में एक व्यक्ति और उसके परिवार को बरी करते हुए कहा कि आर्थिक परेशानी की स्थिति में या फिर आवश्यक घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए कैश की मांग करना दहेज के दायरे में नहीं आता।
बोरीवली मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला के केस को पति पर लगाए आरोप को सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि दहेज निषेध कानून के तहत दहेज उसे कहते हैं जब शादी से पहले या बाद में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसी तरह की संपत्ति या महंगा सामान दिया जाता है या फिर देने पर सहमति बनती है।
कोर्ट ने कहा, ‘अगर आरोपी ने घरेलू सामान के लिए 5 लाख रुपयों की मांग की थी तो भी यह आईपीसी की धारा 498A (महिला के साथ उसके पति और रिश्तेदार द्वारा क्रूरता करना) के दायरे में अवैध मांग नहीं माना जाता।’
कोर्ट ने साथ ही कहा कि पति के खिलाफ दो साल बाद एफआईआर दर्ज की गई और इसमें हुई देरी को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया है।
कोर्ट के मुताबिक ‘अभियोजन की तरफ से पेश सबूत से यह साबित नहीं होता कि पति ने दहेज निषेध कानून की धारा-2 के तहत किसी तरह के ‘दहेज’ की मांग की थी, उसने कुछ घरेलू जरूरतों को पूरी करने और खाद खरीदने के लिए कैश की मांग की थी।’