नई दिल्ली |
कभी आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कपिल मिश्रा अब उनकी ही भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे हैं। फिलहाल केजरीवाल इन सवालों पर इस चुप्पी साधे हुए है। लेकिन गौर करें तो ऐसा लग रहा है कि कपिल का अभियान और अनशन केजरीवाल के खिलाफ नहीं उनके पक्ष में ही काम कर रहा है और ये 5 तर्क इस बात काे साबित कर रहे हैं।
1) हार की बदनामी से पीछा छूटा
अभी कुछ ही दिन हुए आम आदमी पार्टी पंजाब और गोवा विधानसभा के साथ-साथ एमसीडी चुनावों में बुरी तरह हारी है। आप अपनी हार पर गंभीरता से मंथन करने की शुरुआत कर ही रही थी कि कपिल मिश्रा के बागी तेवरों ने मीडिया की सुर्खियों में जगह बना ली और हार की बदनामी पीछे और पीछे छूटती चली गई।
2) टूटने से बची पार्टी
ऐसा लग रहा था कि आम आदमी पार्टी बहुत जल्द ही टूट कर बिखर जाएगी, लेकिन ‘कपिल बवंडर’ ने इसके बिखर रहे तिनकों को एक साथ ला दिया। कुमार विश्वास भी अलग-अलग होते-होते रुके तो कहीं न कहीं उसमें कपिल फैक्टर भी काम कर रहा था।
3) सुर्खियां नहीं बना जल संकट का मुद्दा
गर्मी के मौसम के साथ ही दिल्ली में जल संकट की समस्या खड़ी हाे गई है, जिसके चर्चे मीडिया में बमुश्किल जगह बना पा रहे हैं। वजह है कपिल मिश्रा। रोजाना कपिल कुछ नया ले आते हैं और मीडिया कवरेज उन तक सीमित हो कर रह जाता है। हालांकि केजरीवाल ने इस मुद्दे पर बचने के लिए अपने सहयोगी डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को लगा रखा है। सिसोदिया इस मुद्दे पर मोदी सरकार से लेकर हरियाणा की खट्टर सरकार और एलजी तक को घसीट चुके हैं।
4) मेट्रो किराए पर चर्चा नहीं
पिछले हफ्ते 10 मई से मेट्रो के किराए में बढ़ाैतरी की गई। अगर दिल्ली में कपिल मिश्रा का अनशन न चल रहा होता तो क्या मेट्रो किराए पर इस बेतहाशा वृद्धि पर ऐसी शांति होती।
5) विरोधी आए साथ
कपिल मिश्रा के आरोपों के बाद केजरीवाल के विरोधी भी उनके पक्ष में ही नजर अाएं। अाप से अलग हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि केजरीवाल करप्शन नहीं कर सकते। वहीं दूसरी ओर काफी समय से अरविंद से नाराज कुमार विश्वास ने भी पब्लिक डोमेन में और सोशल मीडिया पर कहा कि अरविंद भ्रष्टाचार करेगा ये मैं सोच भी नहीं सकता। इन बाताें से अाप अंदाजा लगा सकते हैं कि कपिल का अनशन केजरीवाल के लिए फायदे का साैदा ही साबित हाेता नजर अा रहा है।