नई दिल्ली |
मोदी सरकार ने एमपी फंड के उपयोग को पारदर्शी बनाने और इस फंड की मदद से काम करने वाली संस्था साफ-साफ सुथरी हो, इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सरकार की ओर से बनाए गए नए नियम के तहत अब सभी एमपी संबंधित जिला प्रशासन की मदद से अपने इलाके में विकास कार्य के लिए सिर्फ उसी एनजीओ या ट्रस्ट को फंड देंगे जिसे सरकार ने ऐसे कामों के लिए रजिस्टर्ड किया है।
सांख्यिकी मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों के संबंधित अधिकारियों को भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि अभी तक परंपरा के तहत एमपी की ओर से विकास के लिए आवंटित फंड से लोकल स्तर पर किसी भी संस्था को चयनित कर उसे काम करने की जिम्मेदारी दी जाती है। लेकिन अब सरकार ऐसी परंपरा को तत्काल प्रभाव से बंद करेगी। सूत्रों के अनुसार एमपी फंड के लोकल स्तर पर दुरुपयोग और अनुभवहीन संस्थाओं को विकास के लिए फंड दिए जाने की कई शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने ऐसा कदम उठाया है। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कई एमपी ने भी शिकायत की थी कि लोकल प्रशासन ने मिलीभगत से गलत संस्थाओं को फंड दे दिया और बदनामी उनकी हुई।