गुड़गांव |
पिछले साल हरियाणा में सेक्स रेशियो (1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या) 900 था। इस साल की पहली तिमाही में यह आंकड़ा 935 पहुंच गया। और तो और, मार्च के लिए तो यह आंकड़ा 950 था। 2011 की जनगणना में नैशनल सेक्स रेशियो 919 था। तब हरियाणा में यह अनुपात 834 था। हरियाणा में तेजी से बढ़ती लड़कियों की संख्या से इस बात का संदेह पैदा हुआ कहीं सेक्स रेशियों में यह जबर्दस्त उछाल आंकड़ों की हेराफेरी का नतीजा तो नहीं है।
इस संदेह के चलते जब ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कैंपेन टीम ने जमीनी हकीकत की पड़ताल की तो वाकई आंकड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आया। इस टीम की राज्य के 10 में से 8 जिलों की ऑडिट रिपोर्ट में यह सामने आया है कि इस साल की पहली तिमाही में कागजों पर लड़कियों की संख्या में काफी गड़बड़ी है। कुछ मामलों में लड़कियों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर लिखी गई है। बाकी मामलों में नवजात लड़कियों की संख्या इस तिमाही में दर्ज की गई है जबकि नवजात लड़कों की संख्या अगली तिमाही में दर्ज की गई है ताकि फाइनल आंकड़ों में लड़कियों की संख्या बढ़ाकर दिखाई जा सके।
ऑडिट में पता चला कि जनवरी-मार्च की तिमाही में लड़कियों की संख्या लड़कों से भी पार ले जाने वाले पानीपत की असल तस्वीर तो कुछ और ही है। 1,007 लिंगानुपात के साथ दूसरे नंबर पर रहने वाले पानीपत जिले का असल अनुपात 872 है। यहां लड़कियों की संख्या में कागजों पर सीधे 135 नंबर की बढ़ोतरी कर दी गई। 968 लड़कियों के साथ लिंगानुपात में तीसरे नंबर के जिले नरनौल का असल नंबर 841 निकला। इसी तरह झज्जर में कागजों पर 845 की जगह 949, सोनीपत में 870 की जगह 948, कैथल में 890 की जगह 939 और फरीदाबाद में 872 की जगह 926 नंबर दर्ज था।