भोपाल।
शिक्षकों से सालभर गैर शैक्षणिक कार्य कराने का रिजल्ट शुक्रवार को सामने आ गया। हायर सेकंडरी के सभी संकाय का रिजल्ट औंधे मुंह गिर गया। हाईस्कूल का परिणाम 3.97 फीसदी कम रहा। फिर भी सरकार बाहवाही लूट रही है। मुख्यमंत्री आवास में आयोजित सम्मान समारोह में स्कूल शिक्षा विभाग और मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल के अफसरों ने सरकारी और प्राइवेट स्कूलों का तुलनात्मक परिणाम बताकर सीएम ने शाबासी ले ली। जबकि तुलना सरकारी स्कूलों के पिछले साल के परिणाम से करनी थी। जिसमें 3.27 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। यही कारण है कि मंडल के अफसरों ने सही से रिजल्ट भी जारी नहीं किया।
सरकार ने पिछले पांच साल में एक हजार नए हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल खोल दिए हैं। इनमें करीब 20 हजार शिक्षकों की जरूरत है, लेकिन 2011 के बाद से शिक्षकों की भर्ती ही नहीं हुई। इस अवधि में डेढ़ हजार से ज्यादा शिक्षक रिटायर हो गए, जो शेष हैं, उनसे सालभर समग्र आईडी की मेपिंग, सिंहस्थ के दौरान मंदिरों में जूते-चप्पलों की रखवाली, ग्रामोदय से भारत उदय अभियान, ब्लॉक लेबल ऑफिसर, महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, राज्य ओपन बोर्ड के मूल्यांकन आदि कार्य कराए गए।
विशेषज्ञ रिजल्ट खराब होने के लिए इन कारणों की जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उनके मुताबिक शिक्षकों ने बच्चों को ठीक से परीक्षा की तैयारी नहीं कराई। जिसके लिए सीधे तौर पर लोक शिक्षण संचालनालय के अफसर जिम्मेदार हैं। यदि ऐसे ही हालात थे, तो पहले से पता क्यों नहीं चला? जबकि अफसर हर माह जिलों में जाकर मॉनीटरिंग कर रहे थे। विशेषज्ञ कहते हैं कि शिक्षा के प्रति सरकार, शिक्षक, अभिभावक में कमिटमेंट की कमी है।