नई दिल्ली |
जस्टिस कर्णन को लेकर चल रहे मामले में अब एक और नया मोड़ आ गया है। उनके वकील द्वारा बताया गया है कि जस्टिस कर्णन बिना किसी शर्त के माफी मांगने के इच्छुक थे लेकिन उनकी याचिका को स्वीकारा नहीं गया। उनके वकील ने ये भी कहा कि मैंने सुप्रीम कोर्ट के सामने ये बात रखी थी कि उनके अरेस्ट ऑर्डर पर रोक लगा दी जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब जज उपस्थित होंगे तभी इस मामले पर कोई सुनवाई की जाएगी।
इससे पहले जस्टिस कर्णन ने भी कई बयान दिए कहा कि क्या मैं असमाजिक तत्व हूं, क्या मैं आतंकी हूं, वो प्रतिबंध का आदेश कैसे दे सकते हैं। बगैर मेरा पक्ष सुने उन्होंने मेरे खिलाफ कई फैसले दिए हैं, मैं गिरफ्तारी या जेल से नहीं डरता। आम जनता मेरे साथ है। ये न्यायिक व्यवस्था की पूर्ण विफलता है। मैं पहले ही जेल देख चुका हूं। जस्टिस कर्णन ने बताया कि हाईकोर्ट के जज के तौर पर वो करूर, शिवगंगा स्थित जेलों का दौरा कर चुके हैं। जेल जाने से डरने के सवाल पर जस्टिस ने कहा कि मैं नेपोलियन की तरह हूं, डॉक्टर अंबेडकर का एक दत्तक पुत्र, वो कहते हैं मैं पागल हूं। अगर मैं पागल हूं तो मुझे जेल क्यों भेजा जा रहा है।