वॉशिंगटन |
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन उत्तरी कोरिया के खतरे से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करने पर राजी हो गए हैं। पिछले महीने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के एयरबेस पर अमेरिका की ओर से किए गए मिसाइल हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तल्खियां काफी बढ़ गई थीं। ऐसे में ट्रंप और पुतिन का नॉर्थ कोरिया की चुनौती से निपटने के लिए साथ मिलने का फैसला एक अच्छी खबर माना जा सकता है। दोनों के बीच उत्तरी कोरिया के अलावा सीरिया संकट को लेकर भी बातचीत हुई। असद के एयरबेस पर अमेरिका द्वारा किए गए मिसाइल हमले के बाद यह पहला मौका था जब पुतिन और ट्रंप के बीच संवाद कायम हुआ है।
रूस की भूमिका अहम, लेकिन चीन के बिना नहीं बनेगी कोई बात
वाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने नॉर्थ कोरिया में पैदा हो रही खतरनाक स्थिति से निजात पाने और इस समस्या को सुलझाने के रास्ते तलाशने के लिए फोन पर बातचीत की। क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ट्रंप और पुतिन के बीच फोन पर बात हुई और दोनों के बीच मुलाकात का कार्यक्रम तय करने को लेकर रजामंदी भी बनी। जुलाई के महीने में जर्मनी में आयोजित होने जा रहे जी-20 सम्मेलन के दौरान पुतिन और ट्रंप की बैठक हो सकती है। अमेरिकन सिक्यॉरिटी प्रॉजेक्ट में वरिष्ठ सदस्य मैथ्यु वालिन ने ‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार को बताया कि उत्तर कोरिया के संकट को सुलझाने में रूस काफी सकारात्मक भूमिका निभा सकता है, लेकिन इस पूरे मामले में चीन का समर्थन सबसे अहम है। चीन की ही तरह रूस भी मानता है कि उत्तर कोरिया के कारण इस पूरे क्षेत्र में अमेरिकी प्रभाव को सीमित किया जा सकता है। अभी यह साफ नहीं है कि रूस और चीन किम जोंग-उन पर दबाव बनाने के लिए राजी होंगे या नहीं।