नई दिल्ली |
भारतीय युवाओं को भ्रमित कर आतंक के रास्ते पर डालने के लिए इस्लामिक स्टेट ‘पीड़ित’ कार्ड का इस्तेमाल कर रहा है। भारत में मुस्लिमों के साथ पेश आने वाली घटनाओं पर इस्लामिक स्टेट गहरी नजर रखता है। जैसे ही कोई घटना पेश आती है, युवाओं के बीच आईएस अपने सोशल मीडिया ग्रुप से यह संदेश देने की कोशिश करता है कि भारत में मुस्लिमों पर बहुत अत्याचार हो रहा है। इन संदेशों के माध्यम से मुस्लिम युवकों को गैर मुस्लिमों से बदला लेने के लिए उकसाया जाता है। इस तरह युवकों को आईएस के करीब लाने के लिए जाल बुना जाता है।
घटनाओं का जिहादीकरण
इस्लामिक स्टेट अपनी ऑनलाइन मैगजीन और सोशल मीडिया सर्विसेज जैसे टेलिग्राम का इस्तेमाल इस मकसद के लिए करता है। सोशल मीडिया सर्विसेज पर ग्रुप बनाकर घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। एक रिपोर्ट से पता चला है कि हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर समेत भारत के अन्य हिस्सों में मुस्लिमों के साथ हुई घटनाओं को इस्लामिक स्टेट से सहानुभूति रखने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। कश्मीर में सेना की जीप से बंधे युवक का मामला हो या कथित गौ रक्षकों द्वारा मुस्लिम व्यक्ति की पीट-पीट कर की गई हत्या हो या सोनू निगम से जुड़ा अजान विवाद हो या फिर राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद हो या देश के अलग-अलग भागों में होने वाले दंगे हों, हर घटना का इस्तेमाल आईएस और उनके समर्थकों ने फायदा उठाने के लिए किया है। युवाओं के बीच संदेश दिया जाता है कि सरकार भी मुस्लिमों पर अत्याचार के मामले में संलिप्त है।